उत्तराखंड
अंकिता भंडारी केस में VIP कौन? 3 साल बाद भी ‘VIP’ नाम पर सियासी सन्नाटा…सरकार की चुप्पी पर कांग्रेस का हमला तेज
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड ने न सिर्फ देवभूमि बल्कि संपूर्ण देश को हिला कर रख दिया था। वहीं अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में एक VIP नाम ऐसा भी था जो शुरुआत से लेकर अभी तक बाहर नहीं आया है, तमाम कार्रवाईयों, आदेशों और दोष सिद्ध हो जाने के बाद भी मामले में लिप्त एक VIP के नाम से राजनीतिक अंगारे अब भी सुलग रहे हैं। लंबे समय से यह मामला चर्चाओं में रहा है,लेकिन इस मामले में “वीआईपी’ नाम को लेकर लगातार नए सवालों ने जन्म लिया और एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में आ गया है। पहले से ही संवेदनशील इस मामले में अब जांच की प्रक्रिया, घटनाक्रम और उससे जुड़े पहलुओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। चूंकि शुरुआत से ही इस केस में प्रभावशाली लोगों की भूमिका को लेकर चर्चा होती रही है, जिसे लेकर विपक्ष लगातार सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाता रहा है, लिहाजा ऐसी सूरत में प्रदेश सरकार पर यह सवाल उठना तो लाजमी है कि आखिर सरकार इस मामले में किसे बचाने कोशिश कर रही है? आखिर अंकिता भंडारी हत्याकांड में लिप्त VIP नाम को उजागर करने में सिस्टम को इतना समय क्यों लग रहा है ?
3 साल बाद भी ‘VIP’ नाम पर सियासी सन्नाटा
अंकिता भंडारी हत्याकांड को आज पूरे तीन साल से भी अधिक का समय बीत चुका है लेकिन इस मामले की जड़ें आज भी सियासी हुक्मरानों के किवाड़ खड़का रही है। हत्याकांड के बाद घटनास्थल पर की गई कार्रवाई, सबूतों के संरक्षण और जांच की दिशा को लेकर उठी आशंकाओं ने मामले को और गंभीर बना दिया है। शुरुआत से ही अंकिता भंडारी हत्याकांड में राजनीतिक स्तर पर नए-नए सियासी तारों को जोड़ा गया, लेकिन तीन साल बीतने के बाद आज भी यह बड़ा सवाल जस का तस है कि आखिर इस मामले में लिप्त वह VIP नाम कौन है? वहीं उत्तराखंड कांग्रेस लगातार राज्य सरकार का घेराव कर रही है, कांग्रेस का कहना है कि आखिर इस मामले में ऐसा कौन सा सियासी पेंच आड़े आ रहा है जो सरकार मामले में लिप्त VIP के नाम को उजागर करने में तीन से भी अधिक सालों का समय ले चुकी है। अब ‘VIP’ नाम को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच यह मामला एक बार फिर राजनीतिक टकराव का केंद्र बन गया है, जिससे सरकार पर पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर दबाव बढ़ता नजर आ रहा है।





