अवैध निर्माण
“प्रशासन की लगातार कार्रवाई जारी, नहीं टूट रहा शिक्षकों का जज्बा”…पूछड़ी क्षेत्र में अतिक्रमण पर प्रशासन सख्त
कहते हैं शिक्षा वह शेरनी है जिसका दूध जो भी पीता है, वह हमेशा दहाड़ता है। इसी का जीता-जागता उदाहरण बन चुके हैं रामगनर स्थित पूछड़ी वन आरक्षित क्षेत्र के अध्यापक। दरअसल, रामनगर पूछड़ी के वन आरक्षित क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण को लेकर प्रशासन सख्त है लिहाजा इलाके के अतिक्रमणित क्षेत्र को चिह्नित कर उसमें प्रशासन द्वारा तारबाड़ करा दी गई। लेकिन, इसी अतिक्रमण वाले क्षेत्र का एक स्कूल है-ज्योतिबा-सावित्रीबाई सायंकालीन स्कूल, जो बीते चार सालों से रचनात्मक शिक्षक मंडल द्वारा पूछड़ी में संचालित किया जा रहा है। इस स्कूल में गरीब और कूड़ा बिनने वाले बच्चों को शिक्षा दी जाती है। वहीं जब प्रशासन द्वारा घेराव किया गया तो उसकी तारबाड़ के भीतर यह स्कूल भी घिर गया और स्कूल पर भी ध्वस्तीकरण और बच्चों पर शिक्षा विहीन होने का खतरा मंडराने लगा। मगर प्रशासन की कड़ी कार्रवाई के बावजूद भी न तो इन गरीब बच्चों का हौंसला टूटा और न झुकी शिक्षकों की प्रतिबद्धता। स्कूल के तारबाड़ में घिरने के बाद स्कूल स्टाफ ने फैसला लिया कि प्रशासनिक कार्रवाई को बच्चों की शिक्षा में खलल नहीं बनने दिया जाएगा। लिहाजा, स्कूल के अध्यापकों ने उसी तारबाड़ के बाहर ज़मीन पर बैठाकर बच्चों की क्लास लगा दी गई।
कार्रवाई के बावजूद जारी रहेगी बच्चों की पढ़ाई
पूछड़ी के ज्योतिबा-सावित्रीबाई सायंकालीन स्कूल के अध्यापक सुजल, पिंकी, नवेंदु मठपाल, नंदराम आर्य, सुभाष गोला और बालकृष्ण जैसे शिक्षक बड़ी संख्या में पहुंचे इन गरीब छात्रों को पढ़ाते नजर आए , बल्कि बच्चों के साथ रचनात्मक गतिविधियाँ भी करते नज़र आए। रचनात्मक शिक्षक मंडल के राज्य संयोजक नवेंदु मठपाल ने बताया कि इस संबंध में उनकी स्थानीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट से टेलीफोन पर बातचीत हुई है। विधायक ने आश्वस्त किया है—बच्चों की पढ़ाई किसी भी कीमत पर बाधित नहीं होने दी जाएगी। टीम ने प्रशासन से भी अपील की है कि यहाँ 200 से अधिक बच्चे नियमित रूप से पढ़ाई करने आते हैं, जो बेहद गरीब परिवारों से हैं। ऐसे में इन बच्चों की पढ़ाई को व्यवस्थित रखने की तत्काल व्यवस्था की जाए।





