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उत्तराखण्ड

देहरादून बार काउंसिल: लंबित मांगों पर 22 दिसंबर घंटाघर महाधरना…उग्र धरने की चेतावनी

राजधानी देहरादून में आगामी 22 दिसंबर को एक असहज स्थिति बन सकती है, क्योंकि कानून की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता और कानून का पालन कराने वाली पुलिस आमने-सामने हो सकते हैं। दरअसल, बीते एक महीने से बार एसोसिएशन के बैनर तले अधिवक्ता अपनी मांगों को लेकर हरिद्वार रोड स्थित नए न्यायालय परिसर के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान बार एसोसिएशन और प्रशासन के बीच कई स्तरों पर बातचीत भी हुई, लेकिन आश्वासन के अलावा अधिवक्ताओं की मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। हालांकि, बार एसोसिएशन ने अपनी हड़ताल तो स्थगित कर दी है, लेकिन अधिवक्ताओं द्वारा खुली चेतावनी भी दी गई है कि अगर उनकी मांगे पूरी न हुई तो 22 दिसंबर को घंटाघर पर पूरे दिन प्रदर्शन किया जाएगा। अब एक ओर वकील अपनी मांगों को लेकर घंटाघर पर प्रदर्शन का ऐलान कर चुके हैं, तो दूसरी ओर दून पुलिस ने घंटाघर पर प्रदर्शन को लेकर सख्त रुख अपनाया और SSP अजय सिंह ने घंटाघर समेत शहर के प्रमुख चौराहों पर BNS की धारा 223 लागू करते हुए उल्लंघन पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।

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बावजूद इसके बार एसोसिएशन का कहना है कि वे प्रदर्शन से पीछे नहीं हटेंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल का कहना है कि हमारी मांगें लंबे समय से लंबित हैं, प्रशासन की ओर से सिर्फ आश्वासन मिले हैं, समाधान नहीं। घंटाघर पर धारा 223 लगाए जाने के बावजूद हम 22 दिसंबर को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे, अगर इसके बाद भी हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

यातायात व्यवस्था को लेकर प्रशासन सख्त


वहीं दूसरी ओर देहरादून पुलिस का कहना है कि आने वाले दिनों में न सिर्फ क्रिसमस और नव वर्ष को लेकर बल्कि शीतकालीन यात्रा, पर्यटन सीजन, स्कूलों की छुट्टियों और शादी-विवाह के सीजन के कारण शहर में खासा भीड़-भाड़ रहेगी और यातायात दबाव की काफी रहेगा। ऐसी स्थिति में धरना-प्रदर्शन और जुलूसों से आम जनता को परेशानी न हो, इसको लेकर ही धारा 223 लगाए जाने जैसा सख्त निर्णय लिया गया है। वहीं दून जिले के SSP अजय सिंह का कहना है कि घंटाघर, गांधी पार्क, परेड ग्राउंड, कनक चौक, एस्ले हॉल, दर्शन लाल चौक समेत कई प्रमुख स्थानों पर धरना-प्रदर्शन, जुलूस, रैली, नारेबाजी या बिना अनुमति लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। BNS की धारा 223 का उल्लंघन करने पर संबंधित आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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बहरहाल, अब बड़ा सवाल यह है कि 22 दिसंबर को कानून की लड़ाई लड़ने वाले और कानून लागू कराने वाले, दोनों आमने-सामने खड़े होंगे और फिर उसके बाद क्या दून पुलिस सख्ती से कानून लागू करेगी, या फिर अधिवक्ताओं के प्रदर्शन को लेकर कोई बीच का रास्ता निकलेगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।

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