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उत्तराखंड

दो दिन में प्रमोशन फिर भी हड़ताल….स्वास्थ्य महानिदेशालय में कर्मचारियों की तैनाती को लेकर गतिरोध जारी…

देहरादून: उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग में इन दिनों मिनिस्टीरियल संवर्ग के कर्मचारियों की प्रमोशन के बाद भी नई तैनाती को लेकर असहमति चर्चा का विषय बनी हुई है। कार्यवाहक स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा विभाग के 21 कर्मचारियों को 2 दिन में पदोन्नति दी गई, लेकिन इसके बावजूद कर्मचारी अपनी मनचाही तैनाती को लेकर अड़े हुए हैं। इस मुद्दे को लेकर कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार और हड़ताल का रास्ता अपना लिया है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है।

प्रमोशन के बाद भी नई तैनाती पर आपत्ति

स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से मिनिस्टीरियल संवर्ग के कर्मचारियों की पदोन्नति का मामला अटका हुआ था। हाल ही में कार्यवाहक स्वास्थ्य महानिदेशक ने 21 कर्मचारियों को प्रमोशन देकर राहत दी, लेकिन अब नई तैनाती को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विभाग ने कर्मचारियों को उन जनपदों में तैनाती दी, जहां पद रिक्त थे, लेकिन कर्मचारी अपनी पसंद की जगह पर पोस्टिंग चाहते हैं।

महानिदेशक का कहना है कि जिन स्थानों पर पद रिक्त हैं, वहां तबादले किया जाने का नियम है और यह विभागीय मजबूरी भी । लेकिन कर्मचारी प्रमोशन के बावजूद अपनी वर्तमान तैनाती स्थल को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे विभागीय कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है और अस्पतालों की व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। वहीं उन्होंने बताया कि 15 दिन के भीतर प्रमोशन के बाद नवीन तैनाती स्थल पर ज्वाइन ना करने की सूरत में फॉर गो का नियम लागू होता है।

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संगठन ने पूरे संवर्ग के लिए प्रमोशन की मांग रखी

मिनिस्टीरियल संवर्ग के 21 कर्मचारियों को प्रमोशन मिलने के बाद कर्मचारी संगठनों ने पूरे संवर्ग के लिए एक साथ प्रमोशन की मांग रख दी। संगठन का कहना है कि जब प्रमोशन दिया ही गया है, तो यह सभी कर्मचारियों को समान रूप से मिलना चाहिए। उनकी इस मांग पर स्वास्थ्य महानिदेशक स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है, लेकिन तब तक कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू कर दिया है।

हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट

स्वास्थ्य महानिदेशक ने कर्मचारियों से अपील की है कि वे संगठन और जनहित का ध्यान रखते हुए आंदोलन करें, ताकि स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित न हों। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार और हड़ताल से व्यवस्थाएं सुधरने के बजाय बिगड़ेंगी। सरकारी फाइलों वित्तीय वर्ष में संचालित करना मिनिस्टीरियल संवर्ग का काम हैं ऐसे में प्रशासन और कर्मचारियों के बीच गतिरोध से हालात और खराब हो सकते हैं।

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महानिदेशक का कहना है कि विभाग कर्मचारियों की मांगों पर विचार कर रहा है, लेकिन मनमानी तैनाती संभव नहीं है। उन्होंने आंदोलनरत कर्मचारियों से अपील की है कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और जनहित को प्राथमिकता दें।

क्या होगा आगे?

फिलहाल, स्वास्थ्य विभाग में यह गतिरोध बना हुआ है। कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही तो इसका असर सरकारी दफ्तरों की कार्यप्रणाली पर पड़ेगा। स्वास्थ्य प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कर्मचारियों को नियम के दायरे में कैसे संतुष्ट किया जाए और साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित होने से कैसे बचाया जाए। लेकिन दो दिन में प्रमोशन होना भी स्वास्थ्य महानिदेशालय की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में देखी जा रही है।।

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