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हरिद्वार: आबकारी निरीक्षक कार्यालय की संपत्ति पर भू माफियाओं की नजर, करोड़ों की संपत्ति पर संकट

हरिद्वार जिले के रानीपुर मोड़ स्थित आबकारी निरीक्षक प्रथम के कार्यालय भवन पर भू माफियाओं की तिरछी नजरें पड़ गई हैं। यह कार्यालय भवन करीब 2000 वर्ग फीट से बड़े भूखंड पर बना हुआ है, जो हरिद्वार के सबसे महंगे इलाकों में शामिल है। साल 1994 में स्थापित इस भवन पर कार्यालय स्थापित किया गया था, और इसके बिजली के बिल से लेकर भवन कर का भुगतान तक हमेशा विभाग के द्वारा किया जाता रहा है। हालांकि, सूत्रों की माने तो अब अचानक इस भवन का कथित मालिक सामने लाने की तैयारी करते हुए करोड़ों की संपत्ति को अन्य हाथों में सौंपने की कोशिश कर रहा है, जिससे यह मामला और भी जटिल होता हुआ नजर आ रहा है।

आबकारी निरीक्षक कार्यालय का भवन हरिद्वार के रानीपुर मोड़ इलाके में स्थित है, जो शहर के व्यस्ततम और प्रमुख क्षेत्रों में से एक है। यह इलाका न केवल व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संपत्ति के मामले में भी उच्च मूल्य का है। ऐसे में इस भवन पर भू माफियाओं की नजरें अब तिरछी हो गई हैं। अगर यह संपत्ति किसी गलत हाथों में चली जाती है, तो न केवल सरकारी धन की बर्बादी होगी, बल्कि लाखों रुपये का नुकसान भी हो सकता है।

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कथित तौर पर यह संपत्ति अब किसी और के नाम पर दिखाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं कि कुछ भू माफिया इस संपत्ति को गलत तरीके से कब्जाने की योजना बना रहे हैं। इस पूरे मामले ने स्थानीय प्रशासन के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं, क्योंकि यह मामला न केवल सरकारी संपत्ति से जुड़ा हुआ है, बल्कि इसमें सरकारी विभागों की लापरवाही और घोटालों की संभावना भी नजर आ रही है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, आबकारी निरीक्षक कार्यालय का निर्माण विभाग के अधीन हुआ था, और इसे किसी निजी व्यक्ति के नाम पर नहीं किया जा सकता। फिर भी, एकाएक इस भवन के कथित मालिक का सामने आना और उसकी कोशिशें इस संपत्ति को निजी हाथों में सौंपने की स्थिति को और अधिक गंभीर बना देती हैं। ऐसे में स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों से उम्मीद की जा रही है कि वे इस मामले की गहनता से जांच करें और इसे समय रहते सुलझाएं।

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इसके अलावा, भू माफियाओं के इस प्रयास से जुड़ी कई शंका-समस्याएं भी उठ रही हैं। सवाल यह उठता है कि अगर यह संपत्ति कब्जे में चली जाती है, तो इसके परिणामस्वरूप सरकारी धन की भारी हानि हो सकती है। खासकर जब बात करोड़ों रुपये की संपत्ति की हो, तब यह मामला न केवल प्रशासनिक दृष्टि से, बल्कि कानूनी दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

इस संदर्भ में जानकारों का कहना है कि यह घटना हरिद्वार में भू माफियाओं की बढ़ती गतिविधियों का संकेत भी हो सकती है। इस तरह के मामलों में अक्सर स्थानीय दबाव और राजनीतिक पहुंच के कारण किसी भी तरह की गड़बड़ी को दबाया जा सकता है। इसलिए प्रशासन के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण है, और उन्हें इस मामले में पारदर्शिता और तत्परता के साथ कार्रवाई करनी होगी।

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