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आबकारी

कटघरे में आबकारी नीति, विभाग को हाईकोर्ट से लगा झटका, डिपार्टमेंटल स्टोर्स को मिली राहत…

नैनीताल, आबकारी नीति 2025-26 के तहत इंडियन मेड फॉरेन लिकर (IFML) को बंद किए जाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने आबकारी विभाग को झटका देते हुए डिपार्टमेंटल स्टोर्स में IFML की बिक्री जारी रखने के निर्देश दिए हैं। इस फैसले से डिपार्टमेंटल स्टोर्स संचालकों को बड़ी राहत मिली है, जो इस नीति से भारी नुकसान की आशंका जता रहे थे।

क्या था मामला
आबकारी नीति 2025-26 में सरकार ने डिपार्टमेंटल स्टोर्स में IFML की बिक्री पर रोक लगाने का निर्णय लिया था। इस नीति के लागू होने से स्टोर्स को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता, क्योंकि IFML की बिक्री उनके राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। इसके अलावा, सरकार ने विदेशी मिनिएचर और 8 प्रतिशत से अधिक अल्कोहल वाली बीयर की बिक्री पर भी रोक लगाने का निर्णय लिया था। इस फैसले के खिलाफ स्टोर्स संचालकों ने हाईकोर्ट का रुख किया था।

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हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद आबकारी विभाग के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए नीति की इस व्यवस्था पर रोक लगा दी है । अदालत ने कहा कि डिपार्टमेंटल स्टोर्स में IFML की बिक्री पूर्व की भांति जारी रहेगी और इस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके अलावा, अदालत ने आबकारी विभाग को यह भी निर्देश दिया कि वह लाइसेंस धारकों के हितों की अनदेखी न करे और नीति में किसी भी बदलाव से पहले उनके पक्ष को सुने।

डिपार्टमेंटल स्टोर्स संचालकों की प्रतिक्रिया

हाईकोर्ट के इस फैसले से डिपार्टमेंटल स्टोर्स संचालकों ने राहत की सांस ली है। उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से उन्हें व्यापार में भारी नुकसान होता, लेकिन अब अदालत ने उनकी समस्या का समाधान कर दिया है। स्टोर्स मालिकों का मानना है कि यदि यह व्यवस्था लागू हो जाती, तो कई स्टोर्स को बंद करने की नौबत आ सकती थी।

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सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार की ओर से इस फैसले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, आबकारी विभाग इस फैसले के खिलाफ अपील करने पर विचार कर सकता है। विभाग का मानना है कि इस नीति का उद्देश्य शराब की अनियंत्रित बिक्री पर रोक लगाना और उपभोक्ताओं को अधिक सुरक्षित विकल्प उपलब्ध कराना था।

क्या रहेगा आगे का रास्ता
हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब डिपार्टमेंटल स्टोर्स में IFML की बिक्री पूर्ववत जारी रहेगी। हालांकि, सरकार इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है। फिलहाल, डिपार्टमेंटल स्टोर्स के लिए यह एक बड़ी जीत मानी जा रही है और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस फैसले पर आगे क्या कदम उठाती है।

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