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उत्तराखंड

हरिद्वार कुंभ 2027: सौंदर्यीकरण तेज, कमजोर पुल बने खतरे की घंटी

उत्तराखंड की धर्मनगरी हरिद्वार से कुंभ 2027 की गूंज सुनाई देने लगी है, वहीं इसे लेकर तैयारियां जोरों-शोरों पर हैं। हरिद्वार कुंभ मेला अधिकारी के मुताबिक कुंभ 2027 की तैयारियों को दो हिस्सों में बांटा गया है, पहला है परमानेंट वर्क और दूसरा है टेंपरेरी वर्क। इसके तहत घाटों और मुख्य मार्गों के सौंदर्यीकरण से लेकर यातायात व्यवस्था तक, सब पर काम शुरू हो चुका है। मेला क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने विशेष बजट भी जारी कर दिया है। प्रशासन का दावा है कि कुंभ 2027 के पहले सभी महत्वपूर्ण सड़कों और पुलों की मरम्मत पूरी कर ली जाएगी, लेकिन जर्जर पुलों पर जारी भारी वाहनों की आवाजाही प्रशासन के वादों पर सवाल खड़े कर रही है।

जर्जर पुल बढ़ा रहे प्रशासन की चिंता



धर्मनगरी में एक ओर तो कुंभ 2027 को लेकर नए पुल निर्माण और यातायात व्यवस्था को चाक-चौबंद करने की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर हरिद्वार के पुराने पुलों की हालत खुद आगामी कुंभ की तैयारियों पर सवाल खड़े कर रही है। दरअसल, 2016 के कुंभ में जिन पुलों पर प्रशासन ने चेतावनी बोर्ड लगाए थे कि इनमें भारी वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित है, वहां अब भी भारी ट्रक और बसें दौड़ रही हैं, वहीं बैरागी कैंप को जोड़ने वाला पुल पूरी तरह जर्जर हो चुका है। कुंभ जैसे विशाल आयोजन के दौरान यही क्षेत्र भारी वाहनों की पार्किंग और मूवमेंट का अहम केंद्र बनता है। प्रशासन ने इस पुल के सौंदर्यीकरण और पुनर्निर्माण की बात तो कही है, लेकिन मौजूदा हालात खतरे की घंटी बजा रहे हैं। जटवाड़ा पुल की स्थिति और भी गंभीर है। यहां न केवल भारी वाहनों की आवाजाही जारी है, बल्कि चेतावनी बोर्ड पर लोगों ने पोस्टर और बैनर तक चिपका दिए हैं। ये तस्वीरें साफ दिखाती हैं कि चेतावनी केवल दिखावे के लिए रह गई है।

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हालांकि, कुंभ 2027 को लेकर हरिद्वार में तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन जर्जर पुलों की मरम्मत प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। मौजूदा समय पर चारों ओर कुंभ 2027 के सौंदर्यीकरण की बाते हो रही हैं, लेकिन क्या ये पुल इतने मजबूत हो पाएंगे कि कुंभ में भारी वाहनों का बोझ सह सकें? क्योंकि किसी पुल के लिए सौंदर्यकरण और मजबूती यह दोनो अलग-अलग तथ्य होते हैं। अब देखना होगा कि कुंभ से पहले इन पुलों की खूबसूरती ही प्रशासन की जिम्मेदारी है या उनकी मजबूती भी प्राथमिकता हो सकती है।

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