उत्तराखंड
उत्तराखंड में SIR को लेकर मचा विवाद, कांग्रेस ने कहा- SIR के बहाने विशेष समुदाय हो रहा टारगेट
उत्तराखंड में जल्द ही SIR का दूसरा चरण शुरू होना जा रहा है, लेकिन उत्तराखंड में SIR को लेकर राजनैतिक दल एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए नजर आ रहे है। दरअसल, SIR मतदाता सूची की गहन सफाई की प्रक्रिया है, जो चुनाव आयोग द्वारा कई राज्यों में चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य फर्जी, डुप्लीकेट, मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना और सूची को अपडेट करना है। उत्तराखंड में यह प्रक्रिया अभी प्री-SIR चरण में है। 2003 और 2025 की वोटर लिस्ट की तुलना हो रही है, और पूर्ण SIR जल्द शुरू होने वाली है। मगर उत्तराखंड में SIR को लेकर नई राजनैतिक बहस शुरू हो गई है।
उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने SIR पर चिंता जताई है। उनका आरोप हैं कि इस प्रक्रिया के बहाने कुछ क्षेत्रों में विशेष समुदाय, खासकर मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए जा सकते हैं। कांग्रेस ने कहा है कि अगर मुस्लिमों या किसी विशेष समुदाय के नाम काटे गए, तो वे इसका कड़ा विरोध करेंगे। गोदियाल ने कहा कि बीजेपी चुनाव आयोग से मिलकर SIR के नाम पर वोट काटने की साजिश कर रही है जिसे सफल नहीं होने दिया जाएगा।
विशेष समुदाय ने उठाए बड़े सवाल
वहीं SIR को लेकर विशेष समुदाय भी सवाल खड़े कर रहा है। विशेष समुदाय कहना है कि SIR से किसी को दिक्कत नहीं है लेकिन वोटर लिस्ट के साथ जो छेड़छाड़ की जा रही है। उसका संज्ञान चुनाव आयोग के प्रदेश मुखिया पुष्कर सिंह धामी को लेना होगा। विशेष समुदाय को टारगेट करके उनका वोटर लिस्ट नाम हटाया जा रहा है। SIR का काम निष्पक्षता के साथ होना चाहिए। वहीं गोदियाल के बयान पर बीजेपी तंज कस रही है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता नवीन ठाकुर का कहना है। SIR की प्रक्रिया की नई नहीं है। कांग्रेस की सरकार के समय भी SIR हुआ था। आज कांग्रेस सत्ता में नहीं है तभी सवाल उठा रही है। कांग्रेस बांग्लादेशियों के वोट की चिंता कर रही है। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले SIR का काम पूरा होना है। राजनैतिक पार्टियां एक दूसरे पर विशेष समुदाय के वोट पर राजनीति कर रही है। लेकिन सवाल यही है, आज हर व्यक्ति अपने मत के अधिकार को लेकर चिंतित है। देखना होगा SIR की प्रक्रिया के बाद उत्तराखंड की जनता कितनी संतुष्ट दिखाई देती है।





