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उत्तराखंड

उत्तराखंड में वाइब्रेंट विलेज योजना बनी संजीवनी, सीमावर्ती किसानों की तकदीर में आई रंगत

उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में वाइब्रेंट विलेज योजना अब किसानों के लिए आर्थिक संजीवनी बनती जा रही है। दरअसल, साल 2024 के अक्तूबर माह में उत्तराखंड सरकार ने वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत पशुपालन और मत्स्य विभाग ने ITBP के बीच भेड़, बकरी, मुर्गी और ट्राउट मछली की आपूर्ति के लिए समझौता किया था। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य सीमावर्ती गांवों के किसानों को सीधा बाजार उपब्ध करवाना था , ताकि उन्हें बिचौलियों से मुक्त रहकर अपने उत्पादों का सही दाम मिल सके। पिथौरागढ़, चंपावत, चमोली और उत्तरकाशी जिलों के वाइब्रेंट विलेज में रहने वाले किसानों ने इस योजना को पूरी तरह सफल साबित कर दिया है। आपको बता दें कि सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों ने बीते साल ITBP को करीब 9 करोड़ 50 लाख रुपये का मटन, चिकन और ट्राउट मछली का कारोबार किया है। खास बात यह रही कि किसानों को भुगतान डिलीवरी के मात्र दो दिनों के भीतर डीबीटी के माध्यम से हो रही है।

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सीमावर्ती किसानों की तकदीर में आई रंगत

उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में वाइब्रेंट विलेज योजना से सीमावर्ती किसानों की तकदीर में रंगत आने लगी है। उत्तराखंड सरकार ने सीमांत क्षेत्रों में पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से 5 करोड़ रुपये का रिवाल्विंग फंड भी बनाया गया है, वहीं कुक्कूट आहार पर सब्सिडी देकर उत्पादन लागत को कम किया गया है। इसका सीधा लाभ सीमावर्ती क्षेत्रों के कुक्कूट और मत्स्य पालकों को मिला है। खास तौर पर धारचूला क्षेत्र के ट्राउट फिश पालकों को इस योजना से बड़ी आर्थिक मजबूती मिली है, आईटीबीपी के साथ तीन साल के समझौते की शानदार सफलता के बाद अब पशुपालन एवं मत्स्य विभाग सीमा सुरक्षा बल (SSB) और भारतीय सेना के साथ भी इसी तर्ज पर मटन और फिश आपूर्ति के लिए बातचीत कर रहा है। वही पशुपालन एवं मत्स्य मंत्री, सौरभ बहुगुणा का कहना है कि आईटीबीपी के साथ हुए समझौते से भेड़, बकरी और ट्राउट फिश पालकों को बड़ा लाभ मिला है। हमने बिचौलियों को हटाकर किसानों को सीधी मार्केट दी है। अब एसएसबी और सेना के साथ भी इसी तरह का समझौता करने की दिशा में प्रयास तेज़ किए जा रहे हैं, ताकि प्रदेश के अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके।

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