उत्तराखंड
उत्तराखंड में विंटर गेम्स पर मंडराते संकट के बादल, आयोजन अब मौसम के भरोसे…विभागीय उदासीनता पर उठे गंभीर सवाल
उत्तराखंड पूरे देश का वह राज्य है जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरने वाले विंटर गेम्स का आयोजक रहता है, उत्तराखंड का औली पूरे देश का एकमात्र आउटडोर स्कीइंग स्लोप है। यही कारण भी है कि उत्तराखंड को विंटर गेम्स की मेजबानी से नवाजा गया है, आपको बता दें कि उत्तराखंड विंटर गेम्स एसोसिएशन अब तक औली में 35 नेशनल विंटर गेम्स और वर्ष 2011 में साउथ एशियन विंटर गेम्स का सफल आयोजन कर चुका है। औली आइस स्लोप को वर्ष 2010 में FIS यानी इंटरनेशनल स्की एंड स्नोबोर्ड फेडरेशन से मान्यता मिली थी, जो वर्ष 2029 तक वैध है। आपको बताते चलें कि पूरे भारत में आउटडोर स्कीइंग के लिए सिर्फ तीन ही स्थान हैं—उत्तराखंड का औली, हिमाचल का मनाली और जम्मू-कश्मीर का गुलमर्ग, लेकिन इनमें से मात्र औली को सबसे बेहतर माना जाता है।
उत्तराखंड में इस मानसून रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई, जिसके आधार पर अनुमान लगाया गया था कि सर्दियों में राज्य के ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बर्फबारी देखने को मिलेगी। मगर यहां पूरा दिसंबर माह बीतने को आया है बावजूद इसके न तो राज्य में अब तक बारिश की एक बूंद भी बरसी है और न ही औली सहित उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी हुई। हालात इसलिए भी अधिक चिंताजनक बन चुके हैं क्योंकि आगामी जनवरी 2026 में औली में नेशनल विंटर गेम्स का आयोजन प्रस्तावित है, मगर आलम यह है कि अब तक भी पर्यटन विभाग पूरी तरह मौसम के भरोसे बैठा नजर आ रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर बर्फ नहीं गिरी तो क्या विंटर गेम्स हो पाएंगे? और अगर आयोजन संकट में पड़ा तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

विभागीय उदासीनता पर उठे गंभीर सवाल
उत्तराखंड विंटर गेम्स एसोसिएशन के सचिव अजय भट्ट का कहना है कि औली का विंटर गेम्स के लिए उपयुक्त होना राज्य के लिए गर्व की बात अवश्य है यही कारण है कि एक बार फिर औली को नेशनल विंटर गेम्स की मेज़बानी मिली है। ऐसोसिएशन सचिव ने कहा कि इस आयोजन में देशभर से करीब 300 खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं, जिनमें भारतीय सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ और आईटीबीपी के खिलाड़ी भी शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि विंटर गेम्स जैसे बड़े राष्ट्रीय आयोजन के लिए महीनों पहले से तैयारियां शुरू करनी होती हैं, जिसमें पर्यटन विभाग और औली में मौजूद गढ़वाल मंडल विकास निगम की अहम भूमिका होती है। बावजूद इसके न तो पर्यटन विभाग और न ही GMVN दोनों की ओर से इसे लेकर कोई ठोस तैयारी या गंभीरता दिखाई नहीं दे रही है। आयोजन को लेकर समय रहते सूचना देने के बावजूद विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, जब कोई नेशनल इवेंट उत्तराखंड में होता है, तो उस पर देश-विदेश की निगाहें रहती हैं, लेकिन इस बार विभागीय उदासीनता सवाल खड़े कर रही है।
नेशनल विंटर गेम्स पर संकट के बादल
अब एक ओर विंटर गेम्स एसोसिएशन पर्यटन विभाग की ओर उम्मीद लगाए बैठा है, तो दूसरी तरफ मौसम भी रह-रहकर चिंता बढ़ा रहा है। वहीं मौसम विभाग के अनुसार जनवरी और फरवरी में उत्तराखंड में सामान्य से कम बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है, इसका कारण पश्चिमी विक्षोभों की संख्या और उनकी तीव्रता में कमी बताया जा रहा है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक के अनुसार सीजनल फोरकास्ट पहले ही संकेत दे चुका है कि इस बार बर्फबारी सामान्य से कम रह सकती है, तो ऐसे में सवाल यह है कि क्या पर्यटन विभाग ने इस चेतावनी को गंभीरता से लिया?
कुल मिलाकर सूरत-ए-हाल यह है कि अगर जनवरी में बर्फबारी न हुई तो औली नेशनल विंटर गेम्स पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं। हालांकि औली में आर्टिफिशियल स्नो मेकिंग मशीन मौजूद है, मगर यह मशीन वर्ष 2018 से बंद पड़ी है जबकि इस समय औली में तापमान माइनस में बना हुआ है जो कृत्रिम बर्फ बनाने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। उत्तराखंड विंटर गेम्स एसोसिएशन का कहना है कि अगर पर्यटन विभाग और जीएमवीएन समय रहते इस सिस्टम को चालू कर देते, तो न सिर्फ नेशनल विंटर गेम्स कराए जा सकते थे, बल्कि न्यू ईयर और क्रिसमस के दौरान पर्यटन को भी बड़ा फायदा मिलता, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतने अहम नेशनल इवेंट के बावजूद विभागीय स्तर पर अब तक कोई ठोस पहल नजर नहीं आ रही है।





