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उत्तराखंड

उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के लिए क्या खत्म हो रहे शासनादेशों के मायने ? चार नर्सिंग अधिकारियों को मिली शासनादेश को ठेंगा दिखा कर नोकरी…. तमाम अभियार्थी दर दर भटकने को मजबूर

देहरादून, उत्तराखंड में शासनादेश के मानो जैसे कोई मायने ही नहीं रह गए है तभी तो महज चार नर्सिंग अधिकारियों पर पूरा स्वास्थ्य महकमा मेहरबान हो गया। नर्सिंग भर्ती प्रक्रिया 2023 में चयनित नर्सिंग अधिकारी संदीप कुमार वर्मा, दीपा बिष्ट, दीपाली, प्रवीण सिंह द्वारा नियुक्ति आदेश निर्गत की तिथि के 6 माह के उपरांत भी कार्यभार ग्रहण नहीं किया गया है लेकिन सिस्टम इतना मेहरबान हुआ कि उन्हें कोई नियम ही नही दिखा और नोकरी दे दी गई।। जबकि कार्मिक अनुभाग 2 के शासन आदेश संख्या I/1605922, 2023 उत्तराखंड राज्यधीन सेवाओं में आयोग और चयन संस्थाओं द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं तथा अन्य चयन के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों की चयन सूची तथा प्रतीक्षा सूची नियमावली 2023 के प्रावधान के अनुसार कार्यभार ग्रहण करने के लिए अभ्यर्थियों को एक माह का समय दिया जा सकता है तथा अपरिहार्य परिस्थितियों में एक माह का अतिरिक्त समय दिए जाने का प्रावधान भी किए जाने की व्यवस्था की गई है। इस लिहाज से कार्यभार ग्रहण करने के लिए शासन के द्वारा दो माह का समय ही निर्धारित किया गया है।। तय समय में कार्यभार ग्रहण न करने पर अभ्यर्थियों का आवेदन निरस्त करते हुए आगामी भर्ती के लिए पद रिक्त घोषित कर दिए जायेंगे।। नियमावली में नियम 5(3,)में इसकी पूर्ण व्यवस्था की गई है।। लेकिन कुछ अधिकारी तो नर्सिंग अधिकारियों की नियुक्तियों पर सही जवाब देने के बजाय इसे अपवाद स्वरूप एक अंतिम मौका दिए जाने का जिक्र कर रहे हैं।अब भला इस पूरी नियुक्ति में तमाम अभियार्थी और भी बचे हैं जो नियुक्ति के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नही।। अधिकारी बचे हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने के लिए अपवाद स्वरूप का नियम भी नही मान रहे है ऐसे में एक विभाग में एक ही कैडर के अभ्यर्थियों के लिए नियम अलग किस प्रकार हो सकते हैं ? एक तरफ सरकार जीरो टॉलरेंस का नारा बुलंद करते हुए रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही है तो वहीं स्वास्थ्य विभाग सरकार के द्वारा जारी किए गए शासन आदेशों को ही मानने को तैयार नहीं है जो बताता है कि शासनादेश के मायने धीरे-धीरे विभागों के लिए खत्म होते चले जा रहे हैं तभी तो नियुक्तियां नियमों को ठेंगा दिखाकर की जा रही है।। जल्द ही सरकार ने मामले का संज्ञान नहीं लिया तो इससे विभागों के हौंसले और बुलंद होंगे और शासन आदेश के मायने खत्म होते चले जायेंगे।।

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