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उत्तराखंड

एनपीए और प्राइवेट प्रैक्टिस के फेर चल रहे सिस्टम को सुधारने की कवायद हुई तेज…

देहरादून, उत्तराखंड का स्वास्थ्य महकमा सरकार और अलाधिकारियो के आदेश मानने के बजाय उस पर अपनी तल्ख टिप्पणी करते हुए दिखाई दे रहा है आलम यह है कि महकमे के अधिकारियों से स्पष्टीकरण भी मांग लिया जाए तो यह भी उन्हें ना गवारा गुजर रहा है।। शासन ने गलत नियुक्ति के मामले में स्वास्थ्य महानिदेशक से जवाब तलब किया तो डॉक्टर विरोध पर उतर आए।। वही दूसरी तरफ अब प्रांतीय चिकित्सक संघ एनपीए को लेकर भी सरकार के विरोध में आ गया हैं जिसको लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिरकार जब अभी कोई आदेश जारी ही नहीं हुआ तो भला एनपीए पर रोक को लेकर इतना हो हल्ला क्यों हो रहा है।। विभागीय जानकारों की माने तो एनपीए को लेकर अभी कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं हुआ है जबकि चर्चा है कि जो डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करेंगे उन्हें एनपीए नहीं दिया जाएगा , जबकि जो डॉक्टर एनपीए का लाभ लेंगे वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। सरकार के इस फैसले से जहां नए डॉक्टरों को बड़ा लाभ मिलेगा तो वही पुराने डॉक्टरों के लिए भी यह एक बेहतर विकल्प बनकर उभरता हुआ दिखाई देगा।। पुराने डॉक्टर एनपीए व्यवस्था के चलते प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे थे लेकिन अब वह आदेश जारी होने के बाद एनपीए ना लेकर प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकेंगे।।दरअसल विभाग में भी एनपीए को लेकर अलग-अलग मत है।। पूर्व अधिकारियों की माने तो एनपीए की अव्यवस्था उन्हीं डॉक्टरों पर लागू होती है जो डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते लेकिन जो डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करेगा उसको एनपीए मिलना वाजिब भी नहीं है।। हालाकि शासन द्वारा वित्त विभाग को भेज गए प्रस्ताव में साफ लिखा गया है कि जो चिकित्सक प्रेक्टिस करना चाहे उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।। इसके साथ ही विकल्प के रूप में एनपीए की व्यवस्था का लाभ लिया जा सकता है।

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