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उत्तराखंड

उत्तराखंड में वित्तीय आपत्तियों के चलते प्रधानमंत्री मोदी के सिकल सेल एनीमिया मुक्त भारत अभियान को लग रहा पलीता…

देहरादून ,राज्य का चौपट सिस्टम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस अभियान को भी लंबे समय तक पलीता लगाने का काम करता रहा है जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सिकल सेल एनीमिया मुक्त भारत के तहत देश में बड़े रूप में कार्यक्रम चल रहे हैं लेकिन उत्तराखंड मे इस अभियान को वित्तीय अपातियों के चलते चौपट करके रख दिया है।। सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य विभाग के पास अभी सिकल सेल poc टेस्ट किट भी उपलब्ध नहीं है ऐसे में भला स्वास्थ्य विभाग प्रधानमंत्री के उस कल्याणकारी योजना को कैसे अमलीजामा पहनाएगा, यह बड़ा सवाल है।। सूत्र बताते हैं कि अब तक सिकल सेल पी ओ सी टेस्ट किट के चार बार टेंडर विभाग में हो चुके हैं लेकिन अभी तक भी विभाग इसे क्रय करने में नाकाम ही साबित हुआ है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग में खरीदारी को लेकर किस प्रकार से गुल खिलाए जा रहे हैं आलम यह है कि भारत सरकार की यह योजनाएं राज्य के अधिकारियों और वित्त अधिकारियों की रस्साकशी में ही उलझ कर रह गई हैं जिसके चलते चौंकाने वाला आंकड़ा सबके सामने आ गया है।। एनीमिया राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के अनुसार राज्य की स्थिति चिंता जनक है।। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 से एनएफएचएस के अनुसार, उत्तराखंड में 9 महीने से 4 साल के बच्चो में एनीमिया में एक अंक का सुधार हुआ है क्योंकि इसका प्रतिशत 59.8% से गिरकर 58.8% हो गया है।राज्य के काफी बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। बच्चों में एनीमिया बढ़ने की प्रवृत्ति मैदानी जिलों की तुलना में पहाड़ी जिलों में अधिक है। आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तरकाशी (73.6%), चमोली (65.5%), हरिद्वार (63.1%), टिहरी (61.1%), उधम सिंह नगर (60.8%), नैनीताल (59.8%) में 50% से अधिक बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। देहरादून (59.5%), अल्मोडा (57.7%), पौडी (57.2%), रूद्रप्रयाग (52.4%), जबकि बागेश्वर में यह 43.7%, चंपावत (43.1%) और पिथौरागढ (36.2%) है। सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत राज्य में बड़े स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है जिससे राज्य एनीमिया मुक्त हो सके उन्होंने कहा कि स्कूल कॉलेजों के साथ ही अब गर्भवती महिलाओं का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा जिससे राज्य को एनीमिया मुक्त बनाया जा सके ।। उन्होंने कहा कि इसके लिए विशेष अभियान भी चलाया जाएगा।।, जिलों की जनसंख्या के अनुसार नमूने का आकार अलग-अलग था। जबकि पांच जिलों में एनीमिया में वृद्धि देखी गई है, स्वास्थ्य विभाग विशेष रूप से पहाड़ी जिलों, चमोली (11.9%), अल्मोडा (9.1%) और देहरादून (8.9%) को लेकर चिंतित है, जहां समस्या लगभग 9 अंक बढ़ गई है।सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि राज सरकार के द्वारा राज्य में स्क्रीनिंग बढ़ाई गई है जिसके कारण ये आंकड़े सामने आए है उन्होंने बताया स्क्रीनिंग पर ध्यान ना होने के चलते सही हालातों को पता नहीं चल पता है अब स्क्रीनिंग होने के बाद यह आंकड़ा सामने आया है।। पिछले दिनों उत्तराखंड आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी सिकल सेल एनीमिया मुक्त भारत को लेकर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए थे लेकिन उत्तराखंड के अधिकारी तो मानो केंद्र की योजनाओं को धरातल पर उतारने को तैयार ही नहीं है ऐसे में टेंडर के फेर में लगी अधिकारी बार-बार टेंडर करके सरकारी योजनाओं को चौपट कर रहे हैं जिससे एनीमिया मुक्त भारत का सपना देख रहे प्रधानमंत्री के सपने धराशाई होते हुए दिखाई दे रहे हैं।।

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