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आबकारी आयुक्त अनुराधा पाल ने कुँआवाला शराब गोदामों का किया औचक निरीक्षण, व्यवस्थाएँ चाकचौबंद…..
देहरादून। उत्तराखंड में आबकारी विभाग लगातार नई कार्यप्रणाली अपनाकर पारदर्शिता और राजस्व संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को आबकारी आयुक्त उत्तराखंड अनुराधा पाल ने देहरादून जनपद के कुँआवाला क्षेत्र स्थित विदेशी मदिरा के बंधित गोदामों का औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण में उप आबकारी आयुक्त प्रभा शंकर मिश्रा, सहायक आबकारी आयुक्त के.पी. सिंह, आबकारी निरीक्षक संजय रावत और सुंदर तोमर समेत विभागीय अधिकारी शामिल रहे।
निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य गोदामों में भंडारण व्यवस्था, स्टॉक प्रबंधन, सुरक्षा प्रावधानों और परिवहन प्रणाली की समीक्षा करना था, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानकों का अनुपालन पूरी तरह से किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि यह कदम न केवल सरकारी खजाने को नुकसान से बचाने के लिए है, बल्कि उपभोक्ताओं के हितों की भी रक्षा करता है।
निरीक्षण के दौरान आयुक्त ने प्रत्येक गोदाम में उपलब्ध स्टॉक का विस्तृत भौतिक सत्यापन किया और रजिस्टर से उसका मिलान कराया। विदेशी मदिरा के नमूने लेकर उनकी शुद्धता की जाँच की गई, जिसमें किसी भी प्रकार की विसंगति नहीं पाई गई। गोदामों के अभिलेख और स्टॉक रजिस्टर पूर्णतः व्यवस्थित पाए गए।
वहीं, परिवहन व्यवस्था की भी गहन समीक्षा की गई। निरीक्षण टीम ने परिवहन में प्रयुक्त ट्रकों और अन्य वाहनों की जांच की और यह सुनिश्चित किया कि सभी वाहनों में जीपीएस यंत्र स्थापित हों और वे सुचारू रूप से कार्य कर रहे हों। अधिकारियों के अनुसार, यह प्रणाली स्टॉक की हर समय निगरानी में मदद करेगी और किसी भी अवैध गतिविधि पर तुरंत नियंत्रण किया जा सकेगा।
इसके अलावा गोदामों में अग्निशमन यंत्रों की उपलब्धता और कार्यशीलता की भी जाँच की गई। टीम ने पाया कि आपातकालीन परिस्थिति में तुरंत कार्रवाई के लिए पर्याप्त साधन मौजूद हैं। साथ ही, प्रवेश और निकास बिंदुओं पर सुरक्षा व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरे तथा ताले-चाबी प्रणाली को भी परखा गया, जो कि पूरी तरह से नियमानुसार पाई गई।
निरीक्षण के बाद आबकारी आयुक्त अनुराधा पाल ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि भविष्य में किसी भी प्रकार की शिथिलता, लापरवाही या अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गोदाम प्रभारियों और अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि वे स्टॉक प्रबंधन, अभिलेख संधारण और सुरक्षा में किसी प्रकार की ढिलाई न बरतें। साथ ही, उन्होंने विभागीय अधिकारियों को समय-समय पर स्व-अवलोकन (self-audit) की प्रक्रिया अपनाने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी भी स्तर पर अनियमितता पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ सख्त विभागीय एवं दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। आबकारी विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार की नीति राजस्व बढ़ाने के साथ-साथ अवैध भंडारण, परिवहन और बिक्री को रोकने पर केंद्रित है।
इस निरीक्षण से विभाग ने यह संदेश दिया है कि अब आबकारी महकमा पुराने ढर्रे से हटकर आधुनिक और पारदर्शी कार्यप्रणाली अपना रहा है। विभाग का उद्देश्य प्रदेश की सभी दुकानों तक मदिरा के सभी ब्रांडों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करना है ताकि उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
आबकारी विभाग की यह मुहिम न केवल राजस्व वृद्धि के लिए है बल्कि पारदर्शिता और जिम्मेदारी को भी सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है। औचक निरीक्षण से यह साफ संकेत मिला है कि राज्य सरकार और विभाग दोनों ही अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने और एक सुदृढ़ प्रणाली विकसित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।





